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मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय | Munshi premchand ka jeevan parichay, वैवाहिक परिचय, व्यवसायिक परिचय, साहित्यिक परिचय, रचनाएं आदि।
मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय | Munshi premchand ka jeevan parichay-:
भाषा में हिन्दी भाषा का भी एक अलग पहचान है।भारत देश में काफी भाषाएं बोली जाती है। जैसे- अंग्रेजी, भोजपुरी, मैथिली,पालि,मलयालम आदि भाषाएं।
हिन्दी भाषा को नई ऊंचाई तक ले जाना, हिन्दी को एक नए रूप में जागृति करना, हिन्दी में कहानियों में नया जीवन देना मुंशी प्रेमचंद जी का बहुत ही योगदान है।
भाषा का अर्थ है, अपने मन में उत्पन्न विचार को जिस माध्यम से दूसरे तक प्रेषित करना भाषा कहलाती है।
हिन्दी भाषा की उन्नति में मुंशी प्रेमचन्द का प्रमुख योगदान है। मुंशी प्रेमचंद को हिन्दी कहानी का ‘उपन्यास सम्राट’ कहा जाता है।
मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय | Munshi premchand ka jeevan parichay -:
पूरा नाम | मुंशी प्रेमचन्द |
बचपन का नाम | धनपत राय |
जन्म | 31जुलाई,1880 |
जन्म स्थान | लमही ग्राम(वाराणसी) |
पिता का नाम | अजायब राय |
माता का नाम | आनंदी देवी |
पत्नी का नाम | शिवरानी |
शिक्षा | बी०ए० |
पेशा | अध्यापन, फिल्म के क्षेत्र में कार्य, हिन्दी कहानियों को लिखना |
उपाधि | उपन्यास सम्राट |
मृत्यु | 8 अक्टूबर, 1936ई० |
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय | Munshi premchand ka jeevan parichay -:
मुंशी प्रेमचन्द का जन्म एक गरीब घराने में हुआ था। इनका जन्म 31 जुलाई 1880ई० को काशी से 4 किलोमीटर दूर लमही ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम अजायब राय था जो एक डाक के मुंशी थे।
मुंशी प्रेमचन्द के माता- पिता का देहावसान-:
मुंशी प्रेमचन्द की 7 वर्ष की आयु में ही इनके माता- पिता का देहावसान हो गया था।
मुंशी प्रेमचन्द का शैक्षिक परिचय-:
मुंशी प्रेमचन्द के माता पिता का बचपन में ही देहावसान हो जाने के कारण इन पर आर्थिक स्थित का दबाव पद गया। इन्हे रोटी कमाने की चिंता शताने लगी। ट्यूशन पढ़कर ये इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। प्रेमचन्द ने मास्टरी की नौकरी करते हुए बी०ए० पास किया।
मुंशी प्रेमचन्द का वैवाहिक जीवन का परिचय-:
मुंशी प्रेमचन्द जी का विवाह अल्प आयु में ही हो गया था। जो इनके अनुरूप नहीं था। कुछ समय पश्चात इनका विवाह शिवरानी देवी से हुआ।
मुंशी प्रेमचन्द का व्यवसायिक परिचय-:
मुंशी प्रेमचन्द जी ने अपनी आजीविका चलाने के लिए बचपन से ही ट्यूशन पढ़ाने लगे थे। स्कूल की मास्टरी के साथ-साथ 1921ई० में वह गोरखपुर में स्कूल के डिप्टी इंस्पेक्टर बन गए थे। जब गांधी जी ने सरकारी नौकरी से इस्तीफे का बिगुल बजाया तो इन्होंने नौकरी से तुरंत इस्तीफा दे दिया।
मुंशी प्रेमचन्द ने कुछ समय पश्चात कानपुर के मारवाड़ी स्कूल अध्यापन का कार्य किया। इसके पश्चात इन्होंने काशी विद्यापीठ में प्रधान अध्यापक नियुक्त हुए। आपने वर्ष 1934-35ई० 8 हजार रुपये वार्षिक वेतन पर मुंबई में एक फिल्म कंपनी में नौकरी कर ली थी।
मुंशी प्रेमचन्द का साहित्यिक परिचय-:
मुंशी प्रेमचन्द जी में साहित्य सृजन की जन्मजात प्रतिभा विद्यमान थी। इन्होंने प्रारंभ में ही ‘नवाब राय’ के नाम से उर्दू भाषा में कहानियाँ एवं उपन्यास लिखे थे।
प्रेमचन्द जी का ‘सोजे वतन’ नामक क्रांतिकारी रचना ने स्वाधीनता-संग्राम में ऐसी हलचल पैदा कर दिया की अंग्रेज सरकार ने इनकी इस रचना को जब्त कर लिया। कुछ समय पश्चात ‘प्रेमचन्द’ नाम रखकर हिन्दी साहित्य की साधन की और लगभग एक दर्जन उपन्यास एवं तीन सौ कहानियाँ लिखी।
जनता की बात जनता की भाषा में कहकर तथा अपने कथा साहित्य के माध्यम से तत्कालीन निम्न एवं मध्यम वर्ग का सच्चा चित्र प्रस्तुत करके प्रेमचन्द जी भारतीयों के हृदय में समय गए।
मुंशी प्रेमचन्द जी का ‘मंत्र’ नामक कहानी मर्मस्पर्शी है, जो उच्च एवं निम्न स्थित के भेद भाव पर आधारित है। जिसमें लेखक विरोधी घटनाओं, परिस्थितियों एवं भावनाओं का चित्रण करके कर्तव्य बोध का मार्ग दिखाया है।
मुंशी प्रेमचन्द को उपाधि-:
सच्चे अर्थ में ‘कलम के सिपाही’ एवं जनता के दुख दर्द के गायक महान कलाकार को भारतीय साहित्य जगत में उपन्यास सम्राट की उपाधि से विभूषित किया गया है।
मुंशी प्रेमचन्द जी की रचनाएं-:
मुंशी प्रेमचन्द जी की रचनाएं निमन्वत है-
- उपन्यास- कर्मभूमि,कायाकल्प,निर्मला, प्रतिज्ञा, प्रेमाश्रय, वरदान, सेवासदन, रंगभूमि, गबन-गोदान, मंगल सूत्र।
- नाटक- कर्बला, प्रेम की वेदी, संग्राम, रूठी रानी।
- जीवन चरित- कलम, तलवार और त्याग दुर्गादास, महात्मा शेखसादी, राम चर्चा।
- निबंध संग्रह- गल्प रत्न, गल्प समुच्चय।
- अनूदित- अहंकार, सदसूख, आजाद कथा, चांदी की डिबिया, टालस्यटाय की कहानियाँ।
- कहानी संग्रह- सप्त सरोज, नवनिधि, प्रेम पूर्णिमा, प्रेम पचिसी, प्रेम प्रतिमा, प्रेम द्वादशी, समर यात्रा, मानसरोवर, कफन आदि ।
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