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बंगाल विभाजन(Bangal Vibhajan kab hua) की पृष्ठभूमि
लार्ड कर्जन का प्रमुख उद्देश्य था, की बंगाल (Bangal Vibhajan kab hua) को दो भागों में विभाजित करना। उस समय बंगाल प्रांत में बंगाल, बिहार, एवं उड़ीसा शामिल थे। इसका क्षेत्रफल 189,000 वर्ग मील एवं जनसंख्या 8 करोड़ थी। बिहार एवं उड़ीसा की जनसंख्या 2 करोड़ 10 लाख थी। कर्जन ने इस विभाजन को को प्रमुख रूप से प्रशासनिक सीमाओं का पुनर्व्यवस्थापन ही बताया।
लार्ड कर्जन ने स्पष्टीकरण में बताया की मैमनसिंह एवं बकर गंज डिवीजनों में व्यक्ति हमेशा अव्यवस्था एवं अपराधों के लिए कुख्यात एवं थे। पुलिस इन लोगों से निपटने में असमर्थ थी।
एक उप गवर्नर इन विस्तृत प्रदेशों की सुरक्षा के लिए असहाय थी। इसके अलावा पूर्व में ही प्रदेश बटवारा हो चुका था, जैसे 1865 में आधुनिक यू पी को उत्तर पश्चिम प्रांत बनाकर एवं असम को 1873 में इस प्रदेश से अलग किया गया था।
बंगाल विभाजन (bangal vibhajan)
वायसराय लार्ड कर्जन का सबसे निंदनीय कार्य 1905ई. में बंगाल का विभाजन था। विभाजन के दौरान बंगाल की कुल जनसंख्या 7 करोड़ 85 लाख थी एवं इस समय बंगाल बिहार, उड़ीसा एवं बांग्लादेश शामिल थे। 1874इ. में असम बंगाल से अलग हो गया था। एक लेफ्टिनेंट गवर्नर इतने बड़े प्रांत को कुशल प्रशासन दे पाने में असमर्थ थे।
उस समय के गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन का प्रमुख कारण “प्रशासनिक असुविधा” कहा। परंतु वास्तविक कारण प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक था। जिसकी जानकारी तत्कालीन राज्य सचिव रिजले द्वारा 1904 में कर्जन को लिखे गए एक पत्र मिलती है, जिसमें उसने लिखा था की “संयुक्त बंगाल एक शक्ति है, विभाजित बंगाल की दिशाएं अलग-अलग होंगी।”
बंगाल उस समय भारतीय राष्ट्रीय चेतना का मुख्य बिन्दु था, एवं बंगालियों में प्रबल राजनीतिक जागृति थी,जिसे दबाने के लिए कर्जन ने बंगाल का विभाजन कर उसे क्रमशः हिन्दू एवं मुस्लिम के अधिकता वाले दो क्षेत्र में बांटने एवं आपस में विद्रोह करने की नीति अपनायी।
दिसंबर 1903 में बंगाल विभाजन के प्रस्ताव की सूचना प्रसारित होने पर चारों तरफ से वरोध हेतु बैठकें हुई, जिनमें अधिकतर बैठक ढाका, मेंनसिंघ एवं चटगांव में हुई।
सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, कृष्ण कुमार मित्र, पृथ्वीश चंद्र राय आदि बंगाल के नेताओं ने बंगाली हितवादी एवं संजीवनी जैसे समाचार पत्रों ने भी बंगाल के विभाजन के प्रस्ताव की आलोचना की।
बंगाल विभाजन के विद्रोह के बाद भी कर्जन ने 20 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा की जिसके परिणामस्वरूप 7 अगस्त 1905 को कलकत्ता में टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन की घोषणा की गयी। इसी बैठक में ऐतिहासिक ‘बहिष्कार प्रस्ताव’ पास हुआ।
16 अक्टूबर 1905ई. को बंगाल विभाजन की घोषणा के साथ ही बंगाल विभाजन प्रभावी हो गया। विभाजन के बाद बंगाल, पूर्वी बंगाल एवं पश्चिमी बंगाल में विभाजित हो गया।
पूर्वी बंगाल में असम एवं के कुछ जिले राजशाही, ढाका एवं चटगांव मिलाए गये। इसकी जनसंख्या कुल 3 करोड़ 10 लाख थी। क्षेत्रफल 106540 वर्ग मील था। इसमें 1 करोड़ 80 लाख मुसलमान एवं 1 करोड़ 20 लाख हिन्दू थे। इस प्रांत का मुख्यालय ढाका था।
पश्चिमी बंगाल में बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिमी बंगाल शामिल थे, जिसकी जनसंख्या 5 करोड़ 40 लाख थी, और इसमें 4 करोड़ 50 लाख हिन्दू एवं 90 लाख मुसलमान थे। इस प्रांत का कुल क्षेत्रफल 1,41,580 वर्ग मील था।
बंगाल का विभाजन(Bangal Vibhajan kab hua)किसने किया था?
बंगाल का विभाजन 20 जुलाई 1905ई. को वायसराय लार्ड कर्जन ने आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा के साथ ही विभाजन प्रभावी हो गया।
बंगाल विभाजन(Bangal Vibhajan kab hua)के क्या उद्देश्य थे?
बंगाल विभाजन के पीछे अंग्रेजों के प्रमुख उद्देश्य थे –
- अंग्रेजी सरकार के आधार पर बंगाल विभाजन का प्रमुख उद्देश्य बंगाल के प्रशासन को सुधारना था।
- लार्ड कर्जन के अनुसार बंगाल एक बड़ा प्रान्त था, अतः समुचित प्रशासनिक संचालन के लिए उसका विभाजन करना आवश्यक था।
- बंगाल विभाजन का दूसरा प्रमुख उद्देश्य बंगाल की संगठित राजनीतिक भावना को समाप्त करना तथा राष्ट्रीयता के गति को कम करना था।
- इतिहासकारों के अनुसार बंगाल विभाजन का प्रमुख उद्देश्य जनता में मत पैदा करना था। पूर्वी बंगाल में मुसलमानों का बहुमत तथा पश्चिमी भाग में हिन्दुओं का बहुमत रखना जिससे हिन्दू-मुस्लिम एकता में मतभेद हो जाए।
- बंग-भंग और स्वदेशी आन्दोलन के प्रभाव 1905 के बंगाल विभाजन के दूरगामी परिणाम सामने आये जिनके कारण भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को एक नई दिशा मिली
बंगाल विभाजन को लेकर विरोध
बंगाल विभाजन 16 अक्टूबर 1905 को लागू हुआ। इस दिन को पूरे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया। रवींद्र नाथ टैगोर के सुझाव पर सम्पूर्ण बंगाल में इस दिन को राखी दिवस के रूप मनाया गया। इसका उद्देश्य यह दर्शाना था, की बंगाल को विभाजित कर अंग्रेज इसकी एकता में दरार नहीं डाल सकते है।
आनंद मोहन बोस एवं सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने दो विशाल जंसभाओं को संबोधित किया और कुछ ही घंटों के अंदर आंदोलन के लिए 50 हजार रुपये एकत्रित कर लिए। स्वदेशी आंदोलन का एवं बहिष्कार आंदोलन संदेश पूरे देश में प्रसारित हो गया। तिलक एवं उनकी पुत्री ने केटकर ने महाराष्ट्र में इसका प्रचार किया।
लाला लाजपत राय, स्वामी श्रद्धानंद, जयपाल एवं गंगाराम ने पंजाब व् उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में इस आंदोलन का प्रचार प्रसार किया। सैय्यद हैदर खां ने दिल्ली में इस आंदोलन को संभाला।
चिदंबरम पिल्लै, सुब्रमण्यम अय्यर, आनंद चारलू, एवं टी एम नायक जैसे नेताओं ने मद्रास प्रेसिडेंसी में इसका नेतृत्व किया। उत्तर भारत में रावल पिंडी, कांगड़ा, मुल्तान एवं हरिद्वार में स्वदेसी आंदोलन ने जोर पकड़ा।
बंगाल विभाजन के विरोध में बंग भंग आंदोलन को विदेशी माल के बहिष्कार आंदोलन में सबसे बड़ी सफलता प्राप्त हुई।औरतें विदेशी चूड़ियाँ, विदेशी बर्तन आदि का उपयोग करना बंद कर दिए।
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1905 में बंगाल का विभाजन क्यों हुआ?
1905 में बंगाल का विभाजन निम्नलिखित कारणों के कारण हुआ था:
1. अंग्रेजों के राज्योपरिव्यवस्था पर निर्भरता के बढ़ते होने के साथ वे अपने राज्यों को कुछ अलग बनाने के लिए कार्रवाई करने की कोशिश कर रहे थे।
2. भारतीय राज्यों के बीच राजनीतिक अंतर और अंतराष्ट्रीय अंतर के बढ़ते होने के कारण जिसमें बंगाल शामिल था विभाजन किया गया।
3. बंगाल के विभिन्न प्रदेशों के कुछ बिल्डिंग स्तर में भिन्न जातियों और धर्मों के अंतर्मुख्य कारण थे।
बंगाल विभाजन को कब और क्यों रद्द करना पड़ा?
बंगाल विभाजन को 15 अगस्त 1947 को रद्द कर दिया गया था। यह करने के लिए इसके आधार पर एक ही देश बनाने के लिए हुआ था। इसके अलावा, इस विभाजन को रद्द करने के लिए अधिकांश समुदायों को अपने महत्वपूर्ण अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक लगा गया।
स्वदेशी आंदोलन का पतन
स्वदेशी आंदोलन अपने तत्कालीन लक्ष्य की पूर्ति करने में असफल रहा, क्योंकि इस अवसर पर बंगाल का विभाजन समाप्त नहीं किया गया। फिर भी आंदोलन के दूरस्थ लाभ जरूर मिले। इस आंदोलन से विदेशी वस्तुओं के आयात में कमी हुई और भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिला।
निष्कर्ष :
मेरे प्रिय दोस्तों आप सबको इस पोस्ट में बंगाल विभाजन (Bangal Vibhajan kab hua) कब हुआ से संबंधित सभी जानकारी अच्छे से दिया गया है। यदि अपको कोई भी इस पोस्ट से संबंधित कोई भी जानकारी और चाहिए तो आप हमें कमेन्ट करे। आप को इस पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यबाद।
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FAQ
Q.बंगाल का विभाजन कब और किसने किया था?