हिमालय पर्वत शृंखला एवं संबंधित राज्य , भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय पर्वत भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टि से वलित पर्वत श्रेणी है । ये पर्वत श्रेणी पश्चिम – पूर्व दिशा में सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली है । हिमालय पर्वत विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है ।
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हिमालय पर्वत शृंखला एवं संबंधित राज्य : कोबर का भू –सन्नति का सिद्धांत –कोबर ने भू-सन्नतियों को ” पर्वतों का पालन “ कहा है |इनके अनुसार आज से 7 करोड़ वर्ष पूर्व हिमालय के स्थान पर टेथिस भू -सन्नति थी ,जो उत्तर को अंगारालैंड और दक्षिण के गोंडवानालैंड से अलग करती है |
इन दोनों लैंड के अवसाद भू -सन्नति मे जमा होते रहे है ,तथा इस अवसादों का क्रमशः अवतलन होता रहा है ,जिसके परिणाम स्वरूप दोनों सलग्न अग्र -भूमियों मे दबाव जनित भू -संचलन उत्पन्न हुआ ,जिनसे क्यूनलुन एवं हिमालय काराकोरम श्रेणियों का निर्माण हुआ |
हिमालय पर्वत शृंखला एवं संबंधित राज्य : हैरी -हेस का सिद्धांत हैरी -हेस के सिद्धांत के अनुसार लगभग 7 करोड़ वर्ष पूर्व उत्तर मे स्थित यूरेशीयन प्लेट तथा दक्षिण मे स्थित भारतीय प्लेट उत्तर -पूर्वी दिशा मे गतिमान हुआ ,गतिमान होने के कारण दो से तीन वर्ष पूर्व ये भू भाग अत्यधिक निकट आ गए ,जिसके कारण टेथिस के अवसादों मे वलन होने लगा एवं हिमालय का उत्थान शुरू हो गया
- एक करोड़ वर्ष पूर्व हिमालय की सभी शृंखलाये आकार ले चुकी थी |
- वसादों के वलन से लघु हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ |
- दोनों प्लेटों के लाए अवसादों से शिवालिक का निर्माण हुआ |
- हिमालय वास्तव मे अभी भी एक युवा पर्वत है
- हिमालय के क्षेत्र मे आने वाले भूकंप ,हिमालयी नदियों ,के निरंतर होते मार्ग परिवर्तन एवं पीरपंजल श्रेणी मे 1500 से 1850 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाले झील निक्षेप “करेवा “हिमालय के उत्थान के अभी भी जारी रहने की ओर संकेत है |
करेवा – कश्मीर हिमालय मे अनेक दर्रे जैसे -करेवा ,हिमनद चिकनी मिट्टी और दूसरे पदार्थों का हिमोढ़ पर मोटी परत के रूप मे जमाव है |
हिमालय का महत्त्व –
हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप की प्राकृतिक एवं राजनैतिक सीमा बनाता है भारत की जलवायु को निर्धारित करने मे इसकी महत्त्व पूर्ण भूमिका है |ठंड मे आने वाली ध्रुवीय हवा ओ को को भारतीय भू- भाग पर आने से रोकता है |वर्षाकाल मे हिमालयी मानसूनी हवाओ को रोककर भारतीय भू – भाग पर पर्याप्त वर्षा करवाता है, जिस पर हमारी कृषि निर्भर रहती है |हिमालय के हिम पिघलने से वर्ष भर नदियों मे जल की आपूर्ति बनी रहती है | हिमालय विभिन्न खनिज संसाधनों का केंद्र है ,जैसे कॉपर ,जिंक, कोबाल्ट ,टिन ,बिस्मथ धात्विक खनिज का भंडार है ,और आधात्विक खनिज जैसे कोयला ,पेट्रोलियम संसाधन का भंडार है |
वन संसाधनों के अंतर्गत जैसे -सागवन ,शीशम ,ओक, देवदार बांस आदि पेड़ पाए जाते है |हिमालय पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है |
हिमालय पर्वत की श्रेणियाँ
1. ट्रांस हिमालय
2.हिमाद्रि अथवा सर्वोच्च हिमालय
3. मध्य या लघु हिमालय
4. शिवालिक हिमालय
1. ट्रांस हिमालय
- ट्रांस हिमालय के अंतर्गत काराकोरम ,लद्दाख जसकर आदि पर्वत श्रेणीय आती है
- इसका निर्माण हिमालय से पहले हो चुका था |
- ट्रांस हिमालर्वोच्च हिमालय से इंडो-संगपोजोन -शचर के द्वारा अलग होती है ।
- k 2 या गॉडविन आस्टिन 8611 मी. कराकोरम श्रेणी की सर्वोच्च ऊँची चोटी है । और यह भारत की सबसे ऊँची चोटी है ।
2. हिमाद्रि अथवा सर्वोच्च हिमालय –
- हिमालय की यह सबसे ऊंची चोटी है ,इसकी औसत ऊँचाई 6000 मी . है । इसकी चौड़ाई 120 मी. से 190 मी. है ।
- विश्व के महत्व पूर्ण शिखर सर्वोच्च हिमालय मे ही स्थित है ,जैसे एवरेस्ट (86 मी.) ,कंचनजंघा (8558 मी. ),नंगा पर्वत ,नंदादेवी पर्वत ,नामचा बरुवा पर्वत ,आदि |
- माउंट एवरेस्ट – विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (86 मी. ) इसी पर्वत श्रेणी पर है
नोट – नेपाल और चीन मिलकर पिछले एक वर्ष से माउंट एवरेस्ट की नई ऊँचाई पर स्टडी कर रहे थे ,नेपाल सरकार के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली और चीन के विदेशमंत्री वांग यी ने बताया की माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मे 86 सेंटीमीटर का इजाफा हुआ है |
- सर्वोच्च हिमालय लघु हिमालय से “ मेन सेंट्रल थ्रस्ट् “ के द्वारा अलग होती है ।
3. मध्य या लघु हिमालय –
- मध्य या लघु हिमालय की की औसत ऊंचाई( 3700 से 4500 मी.) है ,और इसकी औसत चौड़ाई( 80 से 100 किमी.) है ।
- लघु हिमालय की श्रेणी- पीरपंजाल ,धौलाधर ,मसूरी ,नागटीबा ,एवं महाभारत इसी पर्वश्रेणिया त श्रेणी का भाग है |
- सर्वोच्च व लघु हिमालय के मध्य कश्मीर घाटी , लाहुल -स्पीत , कुल्लू व कांगड़ा घाटिया मिलती है
- इस हिमालय मे अल्पाइन चारागाह भी है ,जिन्हे कश्मीर घाटी मे मर्ग (गुलमर्ग ,सोनमर्ग ) तथा उत्तराखंड मे बुगयाल या पयार कहा जाता है |
- लघु हिमालय अपने स्वास्थ्य वर्धक पर्यटक स्थलों के लिए कहा जाता है । जैसे – शिमला ,कुल्लू ,मनाली आदि |
- लघु हिमालय शिवालिक से में बाउंड्री फाल्ट के द्वारा अलग होती है |
4. शिवालिक श्रेणी अथवा वाह्य हिमालय –
- इस हिमालय की औसत ऊंचाई ( 900 से 1200 मी.) है ,और औसत चौड़ाई 10 से 50 किमी है |
- शिवालिक और लघु हिमालय के बीच कई घाटियां है , जैसे काठमांडू घाटी ।
- शिवालिक हिमालय को पश्चिम मे दून या द्वार कहा जाता है ,जैसे देहरादून |शिवालिक के निचले भाग को तराई कहा जाता है
हिमालय पर्वत के प्रमुख ऊँचे शिखर –
शिखर | देश | ऊँचाई (मीटर) |
माउंट एवरेस्ट | नेपाल | 8848 |
काराकोरम(K2)गॉडविन आस्टिन | भारत | 8618 |
कंचनजंगा | नेपाल | 8598 |
मकालू | नेपाल | 8481 |
धौलागिरि | नेपाल | 8172 |
नंगा पर्वत | भारत | 8126 |
अन्नपूर्ण | नेपाल | 8078 |
नंदादेवी | भारत | 7817 |
कामेत | भारत | 7756 |
नामचावरवा | चीन | 7756 |
गुरुलामंधाता | तिब्बत | 7728 |
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