भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं

भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं

मेरे प्रिय दोस्तों हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से संविधान के अंतर्गत भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं का सम्पूर्ण जानकारी दूंगा। जो आपके के लिए आगामी प्रतियोगी परीक्षा जैसे- यूपीएससी (UPSC), यूपीएससी (UPPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे, बैंक, लेखपाल, शिक्षक पात्रता परीक्षा, सुपरटेट  आदि परीक्षाओं के लिए बहुत ही उपयोगी होगा है। इसके अंतर्गत आप संविधान की मांग, परिभाषा, संविधान मिशन योजना, समितियाँ, स्रोत तथा विशेषताएं आदि की सभी जानकारी मिलेगी। आप से सिर्फ यह शर्त है, की आप यह पोस्ट पूरे मन से पढ़े। 

भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं

संविधान क्या है?

संविधान अपने मूल सिद्धांतों का एक समुच्चय है, जिससे केंद्र, राज्य अथवा अन्य संगठन सुशासित होते है। देश को चलाने के लिए नियम अथवा कानून होते है। कानून अथवा नियम को एक-एक संग्रह करके किताब के रूप में निर्मित किया जाय तो, तब उस किताब को अथवा के संग्रह को संविधान कह जाता है।

संविधान किसी देश का ऐसा मौलिक कानून होता है। जो देश को संचालित करता है। देश की सरकार के कई अंगों एवं कार्यों का निर्धारण करने एवं नागरिकों के प्रति रक्षा करने के लिए नियम को प्रदर्शित करता है।

हर एक स्वतंत्र देश का अपना स्वयं का संविधान होता है। जो उस देश के सरकार के अंग विधानमंडल, न्यायपालिका, कार्यपालिका के गठन को परिभाषित करता है, एवं उसके अधिकार का पालन कराता है।

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संविधान की मांग(भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं)

भारत देश में संविधान के गठन पर विचार विमर्श  साल 1934ई. में प्रथम बार एम.एं. रॉय ने रखी थी। एम एं रॉय वामपंथी आंदोलन के एक प्रखर नेता थे। यह आमूल परिवर्तनवादी प्रजातन्त्र के पैरोकार थे। 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रथम बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की।

1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से पंडित जवाहर लाल नेहरू ने यह घोषणा की की स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मतों के द्वारा चुनी गई संविधान द्वारा किया जाएगा तथा इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के इस मांग पर ब्रिटिश सरकार ने सैद्धांतिक रूप से मान लिया। जिसे वर्ष 1940 के अगस्त के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबनेट मंत्री सर स्टैफोर्ड क्रिप्स, ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य, एक स्वतंत्र संविधान के निर्माण के लिए ब्रिटिश सरकार के एक प्रारूप प्रस्ताव के साथ भारत आये। इस संविधान को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनाया जाना था।

मुस्लिम लीग ने क्रिप्स प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। मुस्लिम लीग की मांग थी भारत को दो स्वायत्त भागों में बाँट दिया जाय, जिनकी अपनी- अपनी संविधान सभाएं हों। भारत में एक कैबनेट मिशन को भेजा गया। जिसने दो संविधान सभाओं को ठुकरा दिया। परंतु उसने इस प्रकार की संविधान सभा के निर्माण की योजना सामने रखी, जिसने मुस्लिम लीग को काफी हद तक संतुष्ट कर दिया।

 कैबिनेट मिशन प्लान 1946(मंत्रिमंडल मिशन योजना)

कैबनेट मिशन योजना के अंतर्गत सुझाए गए प्रस्तावों के तहत नवंबर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ । इस योजन की प्रमुख विशेषताएं जो निम्न है –

  •  संविधान सभा की कुल संख्या 389 होमी चाहिए थी। जिसमें से 296 सिनते ब्रिटिश भारत की और 93 सीटें देसी रियासतों को आवंटित की जानी थी।
  • ब्रिटिश भारत को आवंटित की गई 296 सीटों में 292 सदस्यों का चयन 11 गवर्नरों के प्रांतों और चार का चयन मुख्य आयुक्तों के प्रांतों से किया जाना था।
  • प्रत्येक प्रांत एवं देसी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों को प्रदान की जानी थी। अर्थात प्रत्येक दस लाख लोगों पर एक सीट दी जानी थी।
  • हर एक ब्रिटिश प्रांत को प्रदान कीगई सीटों का निर्धारण तीन प्रमुख समुदायों के मध्य उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया जाना था। जो तीन समुदाय थे – मुस्लिम, सिख एवं सामान्य।
  • प्रत्येक समुदाय के प्रति निधि का चुनाव प्रांतीय असेंबली में उस समुदायी के सदस्यों द्वारा किया जाना था। तथा एकल संक्रमनीय मत के माध्यम से समानुपातिक प्रतिनिधित्व तरीके से मतदान किया जाना था।
  • देसी रियासतों के प्रतिनिधियों का चयन रियासतों के प्रमुखों द्वारा किया जाना था।
  • संविधान सभा के लिए चुनाव जुलाई – अगस्त 1946 में हुआ था।
  • ब्रिटिश भारत के लिए 296 सीटें आवंटित।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 208 सीटें। मुस्लिम लीग को 73 सीटें मिली ।
  • छोटे समूहों एवं स्वतंत्रत सदस्यों को 15 सीटें मिली।
  • देसी रियसतों को प्राप्त 93 सीटें भर नहीं पाई, क्योंकि उन्होंने स्वयं को संविधान सभा से अलग रखने का निर्णय ले लिए था।

संविधान सभा की कार्यप्रणाली 

  • संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई।
  • मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया, एवं अलग से पाकिस्तान की मांग पर बल दिया। जिसके कारण बैठक में केवल 211 सदस्यों ने भाग लिया।
  • सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।
  • 11 दिसंबर 1946 को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद एवं एच.  सी. मुखर्जी को क्रमशः संविधान सभा का अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष चुना गया।
  • सर बी.  एंन.  रॉय को सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया।

भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं के अंतर्गत उद्देश्य प्रस्ताव

13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सभा में एतिहासिक “उद्देश्य प्रस्ताव” पेश किया, जिसमें संवैधानिक सरंचना के ढांचे एवं दर्शन की झलक थी।

  • यह संविधान सभा भारत को एक स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य घोषित करती है, तथा अपने भविष्य के प्रशासन को चलाने के लिए एक संविधान के निर्माण की घोषणा करती है।
  • ब्रिटिश भारत में शामिल सभी क्षेत्र, भारतीयों राज्यों में शामिल सभी क्षेत्र, एवं भारत से बाहर के इस प्रकार के सभी क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्र जो इसमें शामिल होना चाहेंगे, भारतीय संघ का हिससक होंगे।
  • संप्रभु स्वतंत्र भारत की सभी शक्तियां एवं प्राधिकार, इसके अभिन्न अंग एवं सरकार के अंग, सभी स्रोत भारत की जनता होगी।
  • भारत के सभी लोगों के लिए न्याय, सामाजिक,आर्थिक एवं राजनीतिकस्वतंत्रता एवं सुरक्षा अवसर की समता, विधि के समक्ष समता, विचार एवं अभिव्यक्ति, विश्वास भरमन, संगठन बनाने आदि की स्वतंरता तथा लोक नैतिकता की स्थापना सुनिश्चित की जायेगी।
  • अल्पसंख्यकों, पिछड़ों , वर्गों तथा जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जायेगी।
  • संघ की एकता को अक्षुण्ण बनाए रखा जाएगा एवं इसके भू  क्षेत्र, समुद्र एवं वायु क्षेत्र, को सभी देश के न्याय एवं विधि के अनुरूप सुरक्षा प्रदान की जायेगी।
  • प्राचीन भूमि को विश्व में उसका अधिकार एवं उचित स्थान दिलाया जाएगा एवं विश्व शांति एवं मानव कल्याण को बढ़ावा देने के निमित्त, उसकए योगदान को सुनिश्चित किया जाएगा।
  • इस प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1946 को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा परिवर्तन

  • संविधान सभा से खुद को अलग रखने के वाली देसी रियासतें के प्रतिनिधि धीरे-धीरे इसमें शामिल होने लगे।
  • 28 अप्रैल 1947 को 6 राज्यों के प्रतिनिधि सभा के सदस्य बन चुके थे।
  • 3 जून 1947 को भारत के विभाजन के लिए पेश की गई माउंट बेटन योजना  को स्वीकार करने के पश्चात अन्य देशी रियासतें के अधिकतर प्रतिनिधियों ने सभा में अपनी सीटें स्वीकार कर ली।
  • भारतीय हिस्से की मुस्लिम लीग के सदस्य भी सभा में शामिल हो गए।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के द्वारा संविधान सभा में तीन बदलाव

  • संविधान सभा को पूर्णरूप से संप्रभु बनाया गया, स्वेच्छा से कोई भी संविधान बना सकती है।
  • इस अधिनियम ने सभा को ब्रिटिश संसद द्वारा भारत के संबंध में बनाए गए किसी भी कानून को समाप्त करने अथवा बदलने का अधिकार प्रदान कर दिया।
  • संविधान सभा एक विधायिका बन गई। संविधान सभा को दो महत्त्वपूर्ण कार्य दिए गए पहला स्वतंत्रत भारत के लिए संविधान बनाना। और दूसरा देश के लिए अलग आम कानून बनाना। इन दोनों कार्यों के लिए अलग-अलग दिन कार्य करना था। इस प्रकार से संविधान सभा स्वतंत्र भारत के पहली संसद बनी।
  • जब भी सभा की बैठक संविधान सभा के लिए हो तब सभा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद होते थे।
  • जब सभा की बैठक विधायिका के लिए होती थी तो इसके अध्यक्ष जी.  वी.  मावलंकर करते थे।
  • संविधान सभा 26 नवंबर 1949 तक इन दोनों रूपों में कार्य करती थी।
  • मुस्लिम लीग के लीग भारतीय संविधान सभा से अलग होगए थे।
  • वर्ष 1946 में माउंट बेटन योजना के अंतर्गत टी की गई सदस्यों की कुल संख्या 389 सीटों के बजाय 299 तक आ गई। भारतीय प्रांतों की संख्या 296 से 229, एवं देसी रियासतों की संख्या 93 से 70 कर दी गई।

भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं में अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य

  • संविधान सभा ने मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया।
  • 22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
  • 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया।
  • 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान को अपनाया।
  • 24 जनवरी 1950 को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में चुना।

संविधान सभा से संबंधित तथ्य

  • संविधान सभा 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में बनकर तैयार हुआ।
  • संविधान सभा की कुल 11 बैठके हुई।
  • स,मविधान निर्माताओ ने करीब 60 देशों के संविधान का अवलोकन किया, एवं इसके प्रारूपों पर 114 दिनों तक विचार हुआ।
  • संविधान के बनने में कुल 64 लाख रुपये खर्च आये।

भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं में संविधान की समितियां 

बड़ी समितियाँ

समितिअध्यक्ष
संघ शक्ति समितिपंडित जवाहर लाल नेहरू
संघीय संविधान समितिपंडित जवाहर लाल नेहरू
प्रांतीय संविधान समितिसरदार पटेल
प्रारूप समितिडॉक्टर बी. आर. अंबेडकर
मौलिक अधिकारों एवं अल्पसंख्यक संबंधी परामर्श समिति

 

(A) मौलिक अधिकार उपसमिति

(B) अल्पसंख्यक उप समिति

सरदार पटेल

 

जे. बी. कृपलानी

एच. सी. मुखर्जी

प्रक्रिया नियम समितिडॉ. राजेन्द्र प्रसाद
राज्यों के लिए समितिपंडित जवाहर लाल नेहरू
संचालन समितिडॉ. राजेन्द्र प्रसाद

छोटी समितियाँ

समितिअध्यक्ष
संविधान सभा के कार्यों संबंधी समितिजी वी मावलंकर
कार्य  संचालन समितिडॉ के एम मुंशी
सदन समितिबी पट्टाभिसीतारमैया
राष्ट्रीय ध्वज संबंधी तदर्थ समितिडॉ राजेन्द्र प्रसाद
मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यक एवं जनजाति तथा बहिष्कृत क्षेत्रों के लिए सलाहकार समितिसरदार पटेल
क्रींडे स्ियल समितिसर अल्लादी कृषणस्वामी अय्यर
वित्त एवं कर्मचारी समितिडॉ राजेन्द्र प्रसाद
हिन्दी अनुवाद समिति
उर्दू अनुवाद समिति
प्रेस दीर्घा समिति

प्रारूप समिति

संविधान सभा में सभी समितियों में सबसे महत्त्वपूर्ण प्रारूप समिति थी। जिसका गठन 29 अगस्त, 1947 को हुआ था। यह वह समिति थी, जिसे नए संविधान का प्रारूप को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस समिति में सात सदस्य थे।

  • डॉक्टर बी आर अंबेडकर (अध्यक्ष )
  • एन गोपालस्वमी आयंगार
  • अल्लादी कृषणस्वामी अय्यर
  • डॉक्टर के एम मुंशी
  • सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
  • एन. माधव राव (इन्होंने बी. एल. मित्र का स्थान लिया स्वास्थ्य के कारण से )
  • टी टी कृष्णामाचारी(इन्होंने 1948 में डी.  पी.  खेतान का स्थान लिया मृत्यु के कारण )

प्रारूप समिति से संबंधित तथ्य 

  • सभी समितियों के प्रस्तावों पर विचार विमर्श के बाद प्रारूप समिति ने भारत के संविधान का प्रथम प्रारूप तैयार किया। जिसे फरवरी 1948 में प्रकाशित किया। 
  • भारत के लोगों को इस प्रारूप पर अपने विचार विमर्श देने के लिए 8 माह का समय दिया गया। 
  • प्रारूप समिति ने लोगों सुझावों के बाद दूसरा प्रारूप तैयार किया, जिसको अक्टूबर 1948 में प्रकाशित किया गया। 
  • प्रारूप समिति ने 6 माह के कम समय में ही 141 बैठकें करके अपना प्रारूप तैयर कर दिया था। 

भारतीय संविधान का शक्ति में आना 

  • डॉ बी. आर. अंबेडकर ने सभा में 4 नवंबर, 1948 को संविधान सभा का अंतिम प्रारूप पेश किया। इस बार संविधान पहली बार पढ़ा गया। सभा में इस पर 5 दिन तक चर्च हुई। 
  • संविधान पर दूसरी बार 15 नवंबर 1948 से विचार विमर्श होना शुरू हुआ, जो की खंडवर चर्चा हुई, जिसमें 7653 संशोधन प्रस्ताव आये, जिसमें से 2473 पर चर्चा हुई। इस विचार विमर्श 17 अक्टूबर 1949 तक चला। 
  • संविधान पर तीसरी बार 14 नवंबर, 1949 से विचार विमर्श होना प्रारंभ हुआ, डॉ बी. आर. अंबेडकर ने ‘ द कॉन्सटटीट्यूशन ऐज सैटल्ड बाई द असम्बली बी पॉस्ड’ प्रस्ताव पेश किया।
  • संविधान के इस प्रस्ताव को 26 नवंबर 1949 को पारित घोषित कर दिया गया। इस पर अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष तथा सभी उपस्थित सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिए। 
  • संविधान के प्रस्तावना में 26 नवंबर, 1949 का उल्लेख उस दिन के रूप में किया गया है, जिस दिन भारत के लोगों ने सभा में संविधान को अपनाया, लागू किया व् स्वयं को संविधान सौपा। 
  • 26 नवंबर, 1949 को अपनाए गए संविधान में प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थी। 
  • प्रस्तावना को लागू करने के बाद लागू किया गया। 

भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं के महत्वपूर्ण तथ्य 

भारतीय संविधान के स्रोत

स्रोत प्राप्त की गई विशेषताएं 
भारत शासन अधिनियम, 1935 संघीय तंत्र, राज्यपाल का कार्यकाल, लोक सेवा आयोग, आपातकालीन उपबंध एवं प्रशासनिक विवरण। 
ब्रिटेन का संविधान संसदीय शासन, विधि का शासन, विधायी प्रक्रिया, एकल नागरिकता, मंत्रिमंडल प्रणाली, परमाधिकार लेख, संसदीय विशेषधिकार द्विसदनात्मक। 
संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान मूल अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, न्यायिक पुनरावलोकन का सिद्धांत, उप -राष्ट्रपति का पद, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायलय के न्यायधीशों का पद से हटाया जाना, और राष्ट्रपति पर महाभियोग। 
आयरलैंड का संविधान राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत, राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति और राज्यसभा के लिए सदस्यों का नामांकन। 
कनाडा का संविधान सशक्त केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना, केंद्र द्वारा राज्यों राज्यपाल की नियुक्ति और उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन। 
ऑस्ट्रेलिया का संविधान समवर्ती सूची, व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंरता और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक । 
जर्मनी का वाइमर संविधान आपातकाल के समय मूल अधिकारों का स्थगन। 
सोवियत संघ (पूर्व ) का संविधान मूल कर्तव्य और प्रशासन में न्याय (सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक) का आदर्श। 
फ्रांस का संविधान गंतन्त्रतात्मक और प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्श। 
दक्षिण अफ्रीका का संविधान संविधान संशोधन की प्रक्रिया और राज्यसभा के सदस्यों के विचार 
जापान का संविधान विधि द्वारा स्थापित 

भारतीय संविधान की विशेषता

भारत का संविधान संसार के अन्य देश के संविधानों से एक अनोखा मिसाल दर्शाता है, भारतीय संविधान की अनेक विशेषताएं  है, जो संसार के अन्य संविधानों से पृथक पहचान दर्शाता है। 

  • संसार का सबसे लंबा एवं विस्तारवाला संविधान है। 
  • भारतीय संविधान में संघातमक एवं एकात्मक शासन का सम्मिलित रूप है। न्यायिक सिस्टम में निष्पक्ष एवं स्वतंत्रा है। 
  • भारत का संविधान सबसे लंबा लिखित संविधान है। 
  • यह संविधान बहुत वृहद समग्र और विस्तृत दस्तावेज है। 
  • भारत का संविधान विभिन्न स्रोतों से विहित है। 
  • भारतीय संविधान में नसिर्फ शासन के मौलिक सिद्धांत बल्कि विस्तृत रूप में प्रशासनिक प्रावधान भिविद्यमान है। 
  • संविधान का अधिकांश ढांचागत भाग भारत शासन अधिनियम 1935 से लिया गया है। 
  • एकात्मक की तरफ झुकाव के साथ संघीय व्यवस्था। 
  • संसदीय व्यवस्था विधायिका और कार्यपालिका के बीच समन्वय व् सहयोग के सिद्धांत पर आधारित है, जबकि अध्यक्षीय प्रणाली दोनों के मध्य शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत पर आधारित है। 
  • संसदीय संप्रभुता एवं न्यायिक सर्वोच्चता में समन्वय 
  • एकीकृत व् स्वतंत्र न्यायलय 
  • नीति निदेशक तत्वों का करी सामाजिक व् आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना। 
  • मौलिक अधिकारों का न्यायिक सामर्थ्य। 
  • सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार। 
  • एकल नागरिकता। 

भारतीय संविधान सभा के अंतर्गत प्रश एवं उत्तर 

प्रश्न 1- भारतीय संविधान सभा का गठन कियाय गया था – 

(क) भारत सरकार अधिनियम 1935 के अंतर्गत 

(ख )क्रिप्स योजना 1942  के तहत 

(ग) कैबिनेट मिशन योजना 1946 के अंतर्गत 

(घ)भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के अंतर्गत 

उत्तर – कैबिनेट मिशन योजना, 1946 के अंतर्गत 

प्रश्न 2- भारत के लिए संविधान की रचना हेतु संविधान का विचार निम्न में से पहले किसने प्रस्तुत किया था ?

(क) स्वराज पार्टी ने 1934 में 

(ख) कांग्रेस पार्टी ने 1936 में 

(ग) मुस्लिम लीग ने 1942 में 

(घ) सर्वदलीय सम्मेलन ने 1946 में 

उत्तर – स्वराज पार्टी ने 1934 में 

प्रश्न 3- भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी ?

(क)26 जनवरी 1950 

(ख)15 अगस्त 1947 को 

 (ग)  9 दिसंबर 1946 को 

(घ) 19 नवंबर 1949 को 

उत्तर – 9 दिसंबर 1946 को 

प्रश्न 4- स्वतंत्र भारत संविधान सभा के आद्यक्ष कौन थे ?

(क) डॉ भीम राव अंबेडकर 

(ख) डॉ राजेन्द्र प्रसाद 

(ग) सी राजगोपालचारी 

(घ) के एम मुंशी 

उत्तर- डॉ राजेन्द्र प्रसाद 

प्रश्न संविधान सभा के सम्मुख संविधान की प्रस्तावना किसने रखा ?

(क) जवाहर लाल नेहरू 

(ख) बी आर अंबेडकर 

(ग) बी एन राव् 

(घ) महात्मा गांधी 

निष्कर्ष: 

मेरे प्यारे दोस्तों मैंने आप सबको भारतीय संविधान का निर्माण एवं विशेषताएं के अंतर्गत संविधान के निर्माण से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराई, और साथ ही संविधान की जो विशेषताए होती है, उसको अवगत कराया। आपके प्रतियोगी परीक्षा में बहुत ही लाभकारी होगा। इसके बाद भी यदि कोई तथ्य छूट जाय तो आप कमेन्ट के माध्यम से आप हमें अवश्य अवगत कराएं।

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FAQ

Q. भारतीय संविधान का निर्माण कैसे हुआ बताइए?

भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा के सभी 389 सदस्यों संविधान के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने पारित किया, जिसे 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। संविधान में सबसे ज्यादा प्रभाव भारत शासन अधिनियम 1935 का रहा है।

Q. संविधान सभा के अध्यक्ष कौन है?

संविधान सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।11 दिसंबर 1946 को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद एवं एच.  सी. मुखर्जी को क्रमशः संविधान सभा का अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष चुना गया।

Q. भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद हैं?

संविधान में कुल 395 अनुच्छेद है। भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 लागू हुआ।

Q. संविधान के कितने भाग हैं?

संविधान में कुल 22 भाग है।

Q. मौलिक अधिकार कितने होते हैं?

भारतीय संविधान में कुल 6 मौलिक अधिकार है, 1. समानता का अधिकार 2. स्वतंत्रता का अधिकार 3. शोषण के विरुद्ध अधिकार 4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार 5. सांस्कृतिक व् शिक्षा का अधिकार 6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार

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